जब इरादा नेक है
ख़ुद पर यकीन भी है
खुदा के होने का ख्याल भी
तावीज़ धागों का साथ भी
पर हासिल कुछ नही हो प् रहा….
यह जो जालिम बीच का वक्त है
बहुत तंग करता है और कोई नही उससे कुछ कह पता
जब काम तो बहुत अच्छा किया है
पर किसी ने देखा ही नही
“हम इतिला कर देंगे
आप फ़िक्र न करिएँ”
तो काम किया न किया एक बराबर…है न?
यह जो जालिम बीच का वक्त है
बहुत तंग करता है और कोई नही उससे कुछ कह पता
जब चाहत तो दोनों तरफ़ से है
शायाद एक तरफ़ से थोडी ज़्यादा
पर कहानी यंही आकर थम गई है
अब आंखों आँखों में बात हुयी भी थी
या फिर सिर्फ़ ऐसे लगा था तुम्हे…
यह जो जालिम बीच का वक्त है
बहुत तंग करता है और कोई नही उससे कुछ कह पता
जब सब कहते है दावा असर करेगी
बस थोड़ा वक्त लगेगा
चलो हमने तो दुआ भी जोड़ दी साथ
पर बहुत धीरे गुज़र रहा है आज दिन
यह जो जालिम बीच का वक्त है
बहुत तंग करता है और कोई नही उससे कुछ कह पता
2 comments:
अति सुंदर, बहुत बढ़िया !
is it really YOU Shifa?? you write so well i didnt knowwwwwww..
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